ICC वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप: टेस्ट क्रिकेट को मिली नई पहचान, भारत तीसरी बार फाइनल की रेस में

टेस्ट क्रिकेट को विश्व स्तर पर नई पहचान दिलाने वाली ICC वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) एक बार फिर सुर्खियों में है। 2019 से शुरू हुई इस चैंपियनशिप ने पारंपरिक टेस्ट प्रारूप को प्रतिस्पर्धात्मक बनाने में अहम भूमिका निभाई है। भारत अब तक दो बार इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुँच चुका है, लेकिन खिताब जीतने में सफल नहीं हो सका।

पहली बार 2019-2021 के संस्करण में, भारत ने शानदार प्रदर्शन करते हुए फाइनल में प्रवेश किया, जहां उसे न्यूजीलैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2021-2023 में, टीम इंडिया फिर से फाइनल में पहुंची लेकिन ऑस्ट्रेलिया से मात खा गई।

अब, 2023-2025 के तीसरे संस्करण में, भारत एक बार फिर फाइनल की दौड़ में है और उम्मीद की जा रही है कि इस बार रोहित शर्मा की अगुवाई में टीम इंडिया इतिहास रचेगी।

क्या है वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप?
ICC द्वारा आयोजित इस टूर्नामेंट में कुल 9 प्रमुख टेस्ट टीमें हिस्सा लेती हैं। हर टीम 6 टेस्ट सीरीज़ खेलती है — 3 घरेलू और 3 विदेशी। हर सीरीज़ में कुल 120 अंक निर्धारित होते हैं, और अंत में पॉइंट्स प्रतिशत के आधार पर दो शीर्ष टीमें फाइनल के लिए क्वालिफाई करती हैं।

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फाइनल का महत्व:
WTC का फाइनल एकमात्र ऐसा टेस्ट मैच है जो किसी ट्रॉफी के लिए खेला जाता है। इसे टेस्ट क्रिकेट का वर्ल्ड कप भी कहा जाता है। फाइनल मैच न्यूट्रल वेन्यू पर आयोजित होता है, ताकि कोई टीम होम एडवांटेज न ले सके।

चुनौतियाँ और आलोचनाएँ:
जहां WTC ने टेस्ट क्रिकेट को नई ऊर्जा दी है, वहीं इस पर कुछ आलोचनाएँ भी हुई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि पॉइंट सिस्टम और सीरीज़ असमान हैं, जिससे निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगते हैं।

भारत की उम्मीदें:
भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को उम्मीद है कि इस बार टीम इंडिया चैंपियन बनकर उभरेगी। विराट कोहली, रोहित शर्मा, जसप्रीत बुमराह और रविचंद्रन अश्विन जैसे अनुभवी खिलाड़ियों के साथ-साथ नई पीढ़ी के सितारे भारत को खिताब दिलाने को बेताब हैं।

खिलाड़ियों के लिए क्या मायने रखता है WTC?
टेस्ट फॉर्मेट में लगातार अच्छे प्रदर्शन के आधार पर चयनकर्ताओं की नजरें खिलाड़ियों पर टिकी रहती हैं। WTC न सिर्फ टीम को ग्लोरी देता है, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर खिलाड़ियों की प्रतिष्ठा भी बढ़ाता है।

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